Thursday, 25 July 2024

बिंदु भर वजूद भी काफी होगा!


 नीले आसमा में उड़ते हुए, न जाने कब मैं शब्दों की माला पिरोता गया और ये कविता बन गई।

मेरी पहली कविता 🙏
आपके सुझाव का इंतजार रहेगा🙏

शीर्षक - बिंदु भर वजूद भी काफी होगा ।

ऐसा नहीं कि देख रहा हूँ पहली बार
मदर नेचर का ये निखरा नजारा।
अलौकिक!अतुल्य! अप्रतिम!

इस भव्य नीले कैनवास पर
हम एक अदने से इंसान ही तो है।
हजारों सालों की इतिहास की किताब पर,
जिसके अनन्य पन्नो में हम कही एक बिंदु मात्र ही तो है।I

ऐसा कोई जीवित हो तो मुझे बताओ,
जिसका भविष्य निश्चित ना हो।
क्योंकि समाना है हर एक को,
समय के गर्भ में।।

पर सब इतना संगीन भी नहीं दोस्तों,
भस्म तो शरीर होता है न,
कर्म की छाप तो रहेगी युगों तक।।

किसी और रंग रूप काया में शायद
इस आत्मा का वास भी होगा,
पर ये ना भूलना,
परमात्मा की ओर रास्ता तब भी खोजना होगा।
गीता के धर्म-कर्म-योगविज्ञान के ज्ञान में,
सानिध्य तब भी लेना होगा।

जब मिला ही है मानव जीवन,
तो चुनाव करो,
निस्वार्थ बनो,
लिख दो अपनी कहानी स्वधर्म और निष्काम कर्म से
बिंदु भर वजूद भी काफी होगा ।।

- डॉ अमित रंजन - 24th July 2024
while enroute on flight from Gorakhpur to Delhi.

Edited by my better half Dr Priyanka Yadav